वरिष्ठ नागरिकों के लिए भरण-पोषण भत्ता
भारतीय कानून के अनुसार एक पुरुष जो की शारीरिक रूप से सक्षम हो, अपने माता-पिता, जिसमें उसके जैविक माता-पिता, सौतले माता-पिता या दत्तक माता-पिता, का उसी प्रकार से उनका भरण-पोषण करने का जिम्मेवार माना गया है, जैसे कि वह स्वंय के बच्चों या पत्नी के लिए करता हो । हालांकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक विशेष अधिनियम अधिनियमित किया गया था जो कि माता-पिता एवं वरिष्ट नागरिकों का भरण पोषण व कल्याण अधिनियम 2007 है जिसके माध्यम से वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष से ऊपर की आयु के) अपने व्यस्क बच्चों या उनके कानूनी वारिसों से भरण-पोषण प्राप्त कर सकता है । हालांकि माता-पिता@वरिष्ठ नागरिकों के द्वारा केवल इसी अधिनियम के तहत अपने बच्चों से भरण-पोषण प्राप्त नहीं किया जा सकता, वह चाहे तो दुसरे कानूनों का भी सहारा ले सकते है ।
कोई भी हिन्दू जैविक या दत्तक माता-पिता अपने व्यस्क बच्चों से हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के तहत भरण-पोषण प्राप्त कर सकते हैं यदि वह स्वंय अपनी आय और सम्पत्ति के द्वारा भरण-पोषण करने के लिए असमर्थ हैं । ऐसी स्थिति में जब बेटा और बेटी की मृत्यु हो गई हो तब माता-पिता उनके मृतक बच्चों की धन एवं सम्पत्ति भरण-पोषण प्राप्त कर सकता है । यह कानून सौतेले या किसी अन्य धर्म के माता-पिता पर लागू नहीं होता है ।
कोई भी माता-पिता फिर चाहे वह जैविक@दत्तक@सौतेले माता-पिता हों, वह दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अन्तर्गत भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं जिसे सामान्य रूप से (सी.आर.पी.सी. की धारा 125) कहा जाता है और यदि कोई सम्पन्न व्यक्ति जिसके पास सम्पन्न स्रोत हों और वह अपने माता-पिता जो कि स्वंय का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे होंं और वह उनको भरण-पोषण देने के लिए इन्कार करता है नज़रअंदाज़ करता है। यह कानून धर्म निरपेक्ष है और भारत के सभी नागरिकों पर लागू होता है।
भरण-पोषण का हिस्सा व राशिः
उपरोक्त सभी अधिनियमों में भरण-पोषण के लिए किसी सीमित राशि देने का वर्णन नहीं किया गया है । यह राशि अलग-अलग मामलोें मेंे अलग प्रकार से तय होती है । न्यायालय निम्नलिखित मापदण्डों के आधार पर भरण-पोषण निर्धारित कर सकता हैः –
’ प्रतिवादी और याचिकाकर्ता की आय
’ प्रतिवादी और याचिकाकर्ता की जरूरतें और आवश्यकताएं
’ क्या वह उसी घर में रह रहे हैं या नहीं
’ याचिकाकर्ता की कोई विशेष आवश्यकता
’ प्रतिवादी की देनदारी
’ प्रतिवादी के द्वारा भरण-पोषण किये जाने वाले कुल व्यक्तियों की संख्या ।
बच्चों की मृत्यु के पश्चात मिलने वाला भरण-पोषणः
मृतक बच्चों के पति या पत्नी या उनके वंशज भरण-पोषण की देनदारी से बच नहीं सकते, हालांकि इन्हें अलग मापदण्डों पर तैयार किया जाएगा । न्यायालय व्यक्ति के धन एवं सम्पत्ति का कुछ भाग उस व्यक्ति के माता-पिता को देने का आदेश दे सकता है यदि उस व्यक्ति की बिना कोई वसीयतनामा लिखे मृत्यु हो गई हो और यह उत्तराधिकार के नियमों के तहत लागू होगा । इसके अतिरिक्त न्यायालय भी बच्चों को उनके त्रण या अन्य देनदारी के बाद उनकी सम्पत्ति में से बचे हुए हिस्से की भरण-पोषण की राशि देने के प्रावधान निर्धारित कर सकता है । यह बहुत ही दुखद है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकांे का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 या अन्य किसी अधिनियम के तहत बहु और दामाद पर भरण-पोषण अदा करने का दायित्व नहीं डालता है ।
भरण-पोषण की मांग करने की प्रक्रियाः
माता-पिता एवं वरिष्ट नागरिकों का भरण पोषण व कल्याण अधिनियम 2007 को राज्य सरकार के द्वारा गठित की गई अधिकरण के द्वारा लागू किया जाएगा । दिल्ली में एस.डी.एम. के पास भरण-पोषण का आदेश पारित करने की शक्ति प्रदत्त है । यह प्रक्रिया बहुत ही आसान और छोटी है और इसमें गवाही आदि के सामान्य नियम लागू होते हैं ।
सी.आर.पी.सी. की धारा 125 के अन्तर्गत भरण-पोषण की राशि को बच्चों या माता-पिता के क्षेत्राधिकार में आने वाले मजिस्ट्रेट के द्वारा लागू किया जाएगा । अधिकतर राज्यों में अब एैसे मामले परिवारिक न्यायालय में हस्तांतरित किये जा रहे हैं ।
हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम के मामलों में दी जाने वाली भरण-पोषण की राशि को परिवारिक न्यायालय या सिविल न्यायालय के द्वारा लागू किया जा सकता है । महानगरों में ओरिजिनल सूट को माननयी दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल किया जा सकता है, यदि एैसे मामलों में क्षेत्राधिकार उच्च न्यायालय का हो ।
यह सभी न्यायाालय और अधिकरण सबसे पहले तो पक्षकारों के मध्य सुलह करनवाने का प्रयास करेेंगे और उनसे सुलह के दौरान तय की गई भरण-पोषण की राशि के लिए विशिष्ट अधिनियम के तहत आदेश पारित किया जाएगा या सम्पत्ति की कुर्की करके या सिविल जेल में डाला जाएगा।
आम तौर पर पूछने जाने वाले प्रश्नः
मेरा कोई बेटा नहीं है क्या मैं अपनी बेटी से भरण-पोषण प्राप्त कर सकता हूं ।
हां, कोई भी व्यक्ति अपनी बेटी से सी.आर.पी.सी. की धारा 125 और वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, 2007 के तहत भरण-पोषण की राशि प्राप्त कर सकता है । बेटी शब्द में शादीशुदा बेटी भा शामिल है । लेकिन दामाद अपनी पत्नी के माता-पिता को भरण-पोषण देने के लिए बाध्य नहीं होगा यादि उसकी पत्नी की कोई आमदनी नहीं हो या सम्पत्ति नहीं हो ।
मेरे एक से अधिक बच्चे हैं, क्या मैं उन सभी से भरण-पोषण की राशि प्राप्त करन सकता हूं ।
हां, आप अपने सभी बच्चों से भरण-पोषण की राशि प्राप्त कर सकते हैं और सभी आपको संयुक्त रूप से अपनी आय और देनदारी के आधार पर भरण-पोषण की राशि देंगे ।
मैं मेरी पत्नी के द्वारा 498ए के मुकदमें को लड़ रहा हूं, क्या मैं अपने माता-पिता से यह कह सकता हूं कि वह मेेरे से भरण-पोषण की मांग करें ताकि मेरी पत्नी को कम राशि भरण-पोषण के रूप में प्राप्त हो सके ।
हांलाकि आज तक इस कदम से कई भाईयों को फायदा हुआ है और यह अब प्रचलन में भी है । मुझे लगता है कि वास्तव में इस से उल्टा प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि यदि आप अपने माता-पिता को भरण-पोषण दोगे तो आपकी पत्नी भी उसी राशि के भरण-पोषण की मांग करेगी और यदि आपके माता-पित यह कह देते हैं कि आप एक अच्छे इंसान नहीं हो तो तब यह बात आपकी पत्नी के मुकदमें को और अधिक मजबूत कर देगी।
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