भारत में एक लड़े जाने वाले विवाह-विच्छेद में शामिल कदम।
कदम सं-1:विवाह-विच्छेद याचिका मुकदमें के तथ्यों, विवाह-विच्छेद के आधारों और पक्षकारों के सभी वैक्तिक विवरणों के साथ कानून के तहत परिवार न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है
# परिवार न्यायालय के समक्ष विवाह-विच्छेद याचिका प्रस्तुत करने से पूर्व मुकदमें के तथ्यों हेतु इसकी जांच होनी चाहिए जैसे कि कारण एवं आधार जिन पर विवाह-विच्छेद मांगा गया है, दोनों पक्षकारों का सही विवरण जैसे कि नाम, पता, उम्र, जन्म तिथि आदि।
कदम सं-2: परिवार न्यायालय विवाह-विच्छेद याचिका की जांच करता है और उस विवाह-विच्छेद याचिका पर दूसरे पक्षकार जिसके विरुद्ध याचिका दायर की गयी है, को नोटिस जारी करता है ।
# तब याचिका को परिवार न्यायालय के दाखिल पटल पर दायर किया जाता है जो याचिका के तथ्यों की जांच करता है और तत्पश्चात इसे क्षेत्राधिकार रखने वाले न्यायालय को भेजता है,जो उस पक्षकार को जिसके खिलाफ विवाह-विच्छेद याचिका दायर की गयी है, को नोटिस जारी करता है ।
कदम सं-3: विवाह-विच्छेद कार्यवाही के पक्षकारों को दिल्ली के सभी मुकदमों में समझौता हेतु न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है और न्यायालय द्वारा पहले उन्हें समझौते करने का प्रयास किया जाता है ।
#तब दिल्ली में न्यायालय द्वारा दोनों पक्षकारों को मुकदमें जो उनके मध्य है, में समझौता हेतु उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है । तब न्यायालय द्वारा उनमें समझौते कराने का प्रयास किया जाता है।
कदम सं-4: परिवार न्यायालय द्वारा संचालित की गयी समझौते की कार्यवाही का यदि सफल अंत होता है तो मामले का समाधान हो जाता है ।यदि समझौते की कार्यवाही का असफल अंत होता है तब परिवार न्यायालय मामले को आगे बढ़ाता है ।
# यदि न्यायालय द्वारा समझौता में किया गया प्रयास सफल है तो मामले का समाधान हो जाता है लेकिन यदि किसी कारण से समझौता असफल होता है तब न्यायालय मामले के साथ आगे बढ़ता है और विरोधी पक्ष को मुकदमे के सभी बचावों के साथ जबाबदावा दाखिल करने के लिए निर्देशित करता है ।
कदम सं-5: परिवार न्यायालय विरोधी पक्ष को विवाह-विच्छेद याचिका का जबाबदावा दाखिल करने के लिए और अपने सभी बचावों को लेने के लिए निर्देशित करता है ।
# उपरोक्त सभी बिन्दुओं को सम्मिलित करते हुये।
कदम सं-6: याचिका कर्ता को विरोधी पक्ष द्वारा प्रस्तुत जबाबदावा का प्रति उत्तर दाखिला करने के लिए निर्देशित किया जाता है । मुकदमें के इस चरण में न्यायालय द्वारा अन्तरिम गुजारे इत्यादि का आवेदन निस्तारित किया जाता है ।
# न्यायालय में जबाबदावा दाखिल होने के पश्चात, न्यायालय याचिका कर्ता को प्रति उत्तर के लिये कहता है । तब न्यायालय आगे बढ़ते हुये अन्तरिम गुजारा भत्ता और अन्य आवेदनों का निस्तारण करता है ।
कदम सं-7: न्यायालय न्याय निर्णयन के लिए विवाद्यकों को विरचित करता है और मामले को पक्षकारों के साक्ष्य के लिए नियत करता है ।
# कदम सं 4 के पूर्ण होने के पश्चात न्याय निर्णयन के लिए विवाद्यकों को विरचित किया जाता है और पक्षकारों को साक्ष्य के लिए बुलाया जाता है ।
कदम सं-8: याचिका कर्ता को प्रासंगिक दस्तावेजों, कागजातों आदि को दाखिल करने के माध्यम से और अपने सभी गवाहों को बुलाने के माध्यम से साक्ष्य हेतु निर्देशित किया जाता है ।
# प्रासंगिक दस्तावेजों, कागजातों आदि को दाखिल करने और सभी गवाहों को बुलाने पर न्यायालय याचिका कर्ता को अपने साक्ष्य के लिए निर्देशित करता है ।
कदम सं-9: उत्तरदाता को प्रासंगिक दस्तावेजों,कागजातों को दाखिल करने के माध्यम और अपने सभी गवाहों को बुलाने के माध्यम से साक्ष्य देने को कहा जाता है।
# तब यह उत्तरदाता को अपना साक्ष्य देने का अवसर होता है जैसा याचिका कर्ता करता है ।
कदम सं-10: मामले में अन्तिम बहस सुना जाता है और न्यायालय द्वारा मामले को निर्णीत किया जाता है ।
# दोनों पक्षों के द्वारा तब न्यायालय अन्तिम रूप से बहस सुनता है और मामले का निस्तारण करता है ।
कदम सं-11: न्यायालय सभी तथ्यों, साक्ष्य और कानून के आधार पर विवाह-विच्छेद की डिक्री पारित करता है या मामले को खारिज करता है । न्यायालय द्वारा सभी तथ्यों, विधिक आधारों और सभी अन्य सम्बंधित सामग्री का अवलोकन करने के पश्चात या तो आवेदक के पक्ष में विवाह-विच्छेद स्वीकृत किया जाता है या इसे खारिज किया जाता है ।
# सभी तथ्यों, सक्ष्यों और कानून के अनुसार तब मामले में विवाह-विच्छेद की डिक्री को स्वीकार या खारिज किया जाता है ।
मेरे द्वारा उपरोक्त में मेरे समक्ष आये ज्यादातर प्रश्नों के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण दिया गया है। यदि आपको कोई अन्य प्रश्न के बारे में जानना हो जो कि उपरोक्त में वर्णित नहीं की गई हो तो आप इसके बारे में कमैन्ट सैक्शन में या मेरी EMAIL – info@shoneekapoor.com पर पूछ सकते हैं ।
Leave A Comment